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तेल कंपनियों को रोज ५० करोड़ रुपये का घाटा बताया जा रहा हैं।

ताजा बढ़ोतरी के बाद भी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर १.२० रुपये प्रति लीटर का नुकसान होना बताया जा रहा है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों को पेट्रोल के दामों में वृद्घि के बावजूद हर दिन करीब ५० करोड़ रुपये का नुकसान होना बताया जा है। उल्लेखनीय है कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने गत बुधवार को पेट्रोल के खुदरा मूल्यों में २.९५ रुपये प्रति लीटर की वृद्घि की घोषणा की थी। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने पेट्रोल के खुदरा मूल्यों में २.९५ रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की, वहीं देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने पेट्रोल के दामों में प्रति लीटर २.९६ रुपये की बढ़ोतरी की है। इसी तरह हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने भी पेट्रोल महंगा कर दिया है। निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों में एस्सार ऑयल और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी पेट्रोल के खुदरा दामों में वृद्घि की है। चालू साल (कैलेंडर वर्ष) में पेट्रोल के दामों में दूसरी सबसे बड़ी वृद्घि है। इस बढ़ोतरी के बाद भी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर १.२० रुपये प्रति लीटर का घाटा होना बताया जा रहा है। लेकिन सरकार और सरकारी नौकरशाहों ने कभी भी अपनी तनखवाहों को कम करने और इन कम्पनीयों में घाटे के नाम पर हो रही गड़बड़ीयों पर कोई कार्यवाही नहीं की है। ज्ञातव्य रहे कि वर्तमान में किसी भी पैट्रोल कम्पनी को कोई घाटा नहीं है। अगर भरोसा नहीं है तो इनके बहीखातों की जांच करलें सारी सच्चाई सामने आ जायेगी। इन कम्पनीयों में हो रही घालामेली तो वेसे ही जगजाहिर हैं। लेकिन यह तो दावे से कहा ही जा सकता है कि इन कम्पनीयों को किसी भी प्रकार का कोई घटा नहीं है। यह सब नोटंकी सरकार और उसके नेताओं कि मिलीभगत से हो रही है। इन उत्पादों पर लगने वाला टैक्स भी तो जनता से ही वसूला जा रहा है। हम तो जनता से उम्मीद करेंगे कि वह भी अच्छी तरह से जाने कि वास्तव में घाटा क्यों हो रहा है? हो भी रहा है कि नहीं? जहां तक हमारी समझ है ये आंकडों का ही खेल है?
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