ब्याज दरों को भी बढाया तेल को भी बढाया फायदा किसे है सोचा किसी ने
जी हां, हाल ही में बढाये गये तेल के दामों के साथ-साथ कई राज्यों ने कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता भी बढा दिया है क्यों बढाया यह तो पता नहीं लेकिन अगर वास्तव में घाटा हो रहा होता तो कर्मचारियों को बढा हुआ मंहगाई भत्ता नहीं मिलता। ज्ञातव्य रहे की तेल के दाम बढाने के साथ ही राज्यों के कर्मचारियों का लगभग 30 प्रतिशत या अधिक तक मंहगाई भत्ता भी बढा दिया गया है कुछ राज्यों अब बढाया जाने वाला है। उधर आरबीआई ने ब्याज दों को बढा दिया है तो कई राज्यों की रोडवेज भी अब किराया बढाने में लगी है। यह बात तो साफ है कि आम आदमी के उपर मंहागई की मार बढती ही जा रही है।
अब बात करें ब्याज दर की तो सबसे ज्यादा मार आम आवाम पर ही पडेगी। क्योंकि आम आदमी की बचत वर्तमान समय में काफी कम है और लोन आदि पर उसे ब्याज ज्यादा चुकाना पड रहा है। जबकि बचत के मामले में हमारे राजनेता, आद्योगिक घराने, देश के नौकरशाह और राजकर्मचारी अधिक हैं और इनही को फायदा पहुंचाने के लिये सरकार ने ऐसा किया है। साफ-साफ नजर आ रहा है कि कांग्रेस की सरकार जनता से लूट कर चंद कर्मचारियों और राजनेताओं पर पैसा लूटा कर चुनाव जीतना चाहती है। आखीर चुनाव में मुख्य भूमिका भी तो राजकर्मचारियों और नौकरशाहों की ही होती है। आम आदमी तो मात्र मतदान ही कर सकता है। बाकी हेराफेरी तो इन्ही राजकर्मचारियों के द्वारा होती है।
हमारा साफ सोच है कि चंद कर्मचारियों और नेताओं व नौकरशाहों या कहें आद्योगिक घरानों को जब-जब फायदा पहुंचाया जायेगा तब-तब देश में मंहगाई बढेगी। अगर इन राजनेताओं, कर्मचारियों और नौकरशाहों का वेतन कम कर दिया जाये और बचे हुए पैसे से मंहगाई पर कापू पाया जाये तो पूरे देश का भला हो सकता है। लेकिन ये चंद लोगों को फायदा पहुंचाने की नियता से की गई वृधि पूरे देश में आहाकार मचाने वाली है और यह सोच सरकार की व्यापारी वाली सोच है इससे लगता है कि अब सरकार, सरकार नहीं एक व्यापारी बन गई है। आम अवाम की नहीं अब सरकार चंद लोगों की सोचने लगी है।