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सरकार खुद कमोडिटी में सट्टेबाजी कर रही है

क्यों लगा ना करारा झटका! लेकिन यह बात सही है, भारत सरकार विदेशों में गेहूं, पैट्रोलियम पदार्थों एवं अन्य कमोडिटी में एफसीआई व अन्य एजेंसियों के माध्यम से खरीद-बेच का काम कर रही है याने साफ शब्दों में सट्टेबाजी कर रही है। तो ऐसी सरकार देश में मंहगाई को कम करने का काम क्यों करेगी? क्यों आवश्यक कमोडिटी पर हो रहे सट्टे को रोकेगी? जब सरकार ही सट्टेबाजी कर रही हो तो सट्टेबाजी को रोकने के बजाये सरकार उसे बढ़ावा ही देगी और हो भी यही रहा है इस देश में। चाहे जनता कितना ही हो हल्ला मचा ले लेकिन मंहगाई और सट्टे को रोकने में सरकार नाकाम रही है।
देश के स्टॉक मार्केट में भी यही हो रहा है। इस देश की कई बडी कम्पनीयां विदेशी निवेशक बन कर इसही देश को नुकसान पहुंचा रही हैं। नहीं भरोसा हो तो देश के एक्सचेंजों और सेबी से जानकारी ले सकते हैं पिछले दो सालों में देश में कितनी कम्पनीयों ने निवेश किया इन कम्पनीयों के नाम से ही समझ में आ जायेगा कि आखीर यह है किस देश की? कमोडिटी हो या स्टॉक मार्केट दोनों ही क्षेत्रों में कई कम्पनीयां तो ऐसी हैं जो घाटे का रोजना रो कर राहत पेकेज भी लेती रही और आम जनता को भी लूटती रही। यह सारी कवायद सरकारी मिलीभगत से ही हुई है। नहीं तो सरकार इनको राहत पैकेज देने के बजाय आम जनता को देती तो शायद इस देश का कुछ भला तो हो ही जाता। लेकिन यह सारे राहत पैकेज लेकर भी कम्पनीयों ने जनता को ही लूटा है। यह भी सबके सामने है और सरकार के सामने भी! लेकिन कार्यवाही क्या हुई? कुछ नहीं। इसका मतलब सरकार के साथ सांठगांठ कर के ही तो यह सब हो रहा है। कमोडिटी में उतार-चढ़ाव, सट्टेबाजी और कालाबाजारी-जमाखोरी सब कुछ सरकार की देख रेख में। लेकिन आम जनता को इन सब बातों को बताने वाला भी कोई माई का लाल नहीं है। जितना जल्दी समझ सके जनता तो उसका भला, नहीं तो एक दिन वहीं आयेगा जब जनता ही गोदामों को लूटेगी जैसे कुछ दसकों पहले हुआ था।
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