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एच.बी वीजा के लिए आवेदन

अमेरिकी प्रशासन ने हाल में चर्चा का केंद्र रहे एच1बी वीजा पर अपना रुख साफ किया है। ओबामा प्रशासन ने एक अदालत को बताया है कि अमेरिका को इस वीजा की जरूरत है। इसके बगैर अमेरिकी कंपनियों को कॉम्पिटिशन के मामले में नुकसान उठाना पड़ेगा। भारतीय प्रोफेशनल्स में एच1बी वीजा काफी लोकप्रिय है। कार्यवाहक सहायक अटॉर्नी जनरल माइकल एफ हटर्ज ने इस बारे में अमेरिकी प्रशासन की ओर से जवाब दायर किया है। अमेरिकी सरकार ने इंजीनियरिंग, साइंस और अन्य टेक्नॉलजी डिग्री हासिल करने वाले विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए छात्र वीजा के तहत अमेरिका में काम की पीरियड एक साल से बढ़ाकर 29 महीने कर दी थी। तीन अमेरिकी संगठनों, कुछ लोगों और छात्रों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई थी।
यह बुश प्रशासन का नीतिगत फैसला था जिसे पिछले साल न्यू जर्सी की निचली अदालत में चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। बाद में इन्हीं याचिकाकर्ताओं ने फिलाडेल्फिया की अपीलीय थर्ड सर्किट अदालत से इस मामले में अपील की थी। ओबामा प्रशासन ने 23 मार्च को इस पर जवाब दायर किया। सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि अमेरिकी कंपनियों खासकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित से जुड़ी कंपनियां उच्च योग्यता वाले विदेशी छात्रों के लिए एच1बी वीजा हासिल करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में अमेरिकी कंपनियां प्रतिस्पर्धा के मामले में नुकसान उठा रही हैं।
बुश प्रशासन की नीति का समर्थन करते हुए सरकार ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के डिग्रीधारक विदेशी छात्रों का वर्क परमिट 17 माह के लिए बढ़ाया जाना सही है। सरकार ने कहा कि हमारे लिए विदेशी छात्रों को अमेरिका में रोकना जरूरी है। सरकार ने कहा है कि इसकी समय सीमा बढ़ाए जाने से छात्रों के सामने भी जल्द देश छोड़ने की समस्या नहीं रहती और कंपनियों को भी समय मिल जाता है कि वह छात्रों की तरफ से एच.बी वीजा के लिए आवेदन कर सकें।
5 अप्रेल, 2009
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