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पहले भी मर्ज किया था रिलायंस में आरपीएल को ?

रिलायंस पेट्रोलियम (आरपीएल) को अपने साथ मिलाने की ओर कदम बढाते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने कहा है कि वह आरपीएल में प्रमुख अमेरिकी ऊर्जा कंपनी शेवरान कार्प की हिस्सेदारी खरीदेगी। आरआईएल, शेवरान से आरपीएल के 22.50 करोड़ इक्विटी शेयर अथवा पांच प्रतिशत की इक्विटी खरीदेगी। इससे उसकी कंपनी में हिस्सेदारी बढ़कर 75.38 प्रतिशत हो जायेगी। इसके साथ एक नई प्रक्रिया शुरू की जा रही है इस प्रक्रिया में रिलायंस इंडस्ट्रीज और इसकी सहायक कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम ने विलय के लिए स्टाक एक्सचेंज के बोर्ड को अपने एजेंडे के बारे में सूचित किया है। स्टाक एक्सचेंज से जुड़ी दोनों कंपनियों की ओर से दायर एक जैसे दस्तावेजों में कहा गया है की "कंपनी का निदेशक मंडल दो मार्च को विलय पर विचार करेगा और उसकी सिफारिश करेगा।" अब सवाल यहां पर उठता है कि जब दोनो कम्पनियों को पहले भी मिलाया गया था बाद में आरपीएल का नये सिरे से पब्लिक इश्यू लाया गया था। अब वापस विलय किया जाना किसी घोटाले को दबाने की प्रक्रिया की ओर ईशारा तो नहीं कर रहा है या फिर वही होगा जो पहले किया आम निवशकों को नुकसान....? कुछ भी हो यह तो तैय ही करना चाहिये नियामकों और सरकार को कि पहले वाली प्रक्रिया वापस क्यों दोहराई जा रही है ?
28 फरवरी, 2009
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