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नोटिस की राजनीति, कार्यवाही का डर, एक-दूसरे पर आरोप ?

नोटिस की राजनीति तो आप सभी देख-सून और पढ रहे हैं। जिसे ज्यादा नोटिस मिले वह ही अपने आपको राजनीति का खिलाडी समझने लगे हैं। इन नोटिसों के बाद क्या होना है यह कोई नहीं जानता केवल सवाल और जवाब के अलावा कार्यवाही तो इस चुनाव तक नहीं होने वाली है। देश के झंडे का अपमान करने पर कार्यवाही ना हो तो, पैसा देने वालों पर क्या कार्यवाही होगी, आप ही ज्यादा समझ सकते हैं ? अब अपमान किस का हो रहा है जनता का क्या.....? देश में कानून है, कानून की पालना करवाने के लिये नौकरशाह है, इन नौकरशाहों के आधिन प्रशासन है लेकिन खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं, क्यों ? इस देश के झंडे का अपमान वह भी देश के राजनैतिक दल के द्वारा की जाये तो कार्यवाही को लम्बा खेंचना, इससे बडा अपमान शायद देश के लोगों ने नहीं झेला होगा, अरे आजादी की बात करने वालों देश की पहचान, शान को ही राजनीति की भेंट चढा दिया, क्यों ? यह अपराध आम आदमी ने किया होता तो बेचारा जिन्दगी भर जलालत झेलता रहता ! मौहल्ला तो छोड जिले में भी चेन से नहीं रह पाता बेचारा ! लेकिन समानता का पाठ पढाने वाले नौकरशाह है की इस देश के प्रतिक झंडे का अपमान भी सहन कर गये, अपमान करने वाले तो भूले ही, उन्हें तो बेचारे मुलायम और दूसरे याद आ रहे हैं जिन्होंने चुनाव आचार सहिंता लगने के बाद पैसा बांटा, क्यों बांटा इस पर चर्चा नहीं करेंगे हम ! हम चर्चा करेंगे पैसा बांटना बडी चीज है या देश के झंडे का अपमान ? इस देश के राष्ट्रभक्त जाति, धर्म, समुदाय को नहीं मानते हैं, मानते हैं अपनी राष्ट्रीयता को और उसकी आन व शान को ! इसका अपमान करने और सहने वाले देशद्रोहियों को नहीं ? इससे यह तो लगता ही है कि इस देश के नागरीकों में देशप्रेम का स्तर कितना गिर गया है कि वह देश के गौरव माने जाने वाले झंडे का अपमान भी सहन कर रहे हैं। यह उन क्रान्तिकारियों का भी अपमान है जिन्होंने इस झंडे के लिये और आजादी के लिये अपनी जान तक दे दी थी ?
15 मार्च, 2009
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