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विश्व की जानी मानी खुफिया ऐजेंसियों से भी तेज है भारत का मीडिया ?

मोसाद,केजीबी,एफबीआई जैसी प्रमुख खुफिया ऐजेंसियों से भी तेज हमारे मीडिया वालों का नेटवर्क कितना तेज है कि बेचारे लादेन या प्रभाकरण क्या करने वाले हैं, क्या योजना बना रहे हैं आदि कि जानकारी होने का दावा करते नजर आ जायेंगे और कुछ नहीं तो बुश को छोड अब ओबामा क्या करने वाले हैं के गुणगान करते नजर आऐंगे या उन्हें क्या परेशानी है यह भी बताने से नहीं चुकते हमारे मीडिया हाउस ! चाहे इसकी जानकारी इन मीडिया हाउसों को हो या ना हो लेकिन टीआरपी और विज्ञापन जो बढाने की होड है, इसके लिये क्या सही क्या गलत, मीडिया की आजादी के नाम पर सब जायज है ? बेचारे मीडिया वाले सवेरे से शाम तक पाकिस्तान को कोस्ते या अमेरीका का गुणगान करते या बाकी बचे कुछ क्षण छोटी-छोटी घटनाओं को दिखाते नजर आऐंगे और कुछ नही तो भूत-भविष्य और कहानियों पर चालू हो जाते हैं बाकी बचे समय में विज्ञापन वसूलने के लिये समाचार या विज्ञापन का टेप चलता नजर आयेगा। अब बेचारे मीडिया के पास आम जनता की समस्या दिखाने के लिये समय ही कहां है ? समय है तो किसी के घर की अथवा व्यक्तिगत-पारिवारिक फिल्मी कलाकारों पर व्यक्तिगत आरोपों में ही चला जाता है। मीडिया कि हालत यह हो गई है जैसे डरावने सीरियल दिखाने वाले चैनल की होती है ?
भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, मंहगाई और अन्य जनसमस्याओं पर तो बोलते ही शर्म आने लगी है। मीडिया की अपनी समस्या है केवल लादेन, अमेरीका, प्रभाकरण आदि, इसके अलावा वह बाबा लोग जो राहू, केतु, चंद, सूर्य, ग्रहण आदि को लेकर लोगों को डराते नजर आऐंगे। टोटके भी ऐसे बताये जाऐंगे बेचारे लोगों को, जो पहले से ही मंदी की मार छेल रहे हैं जैसे सोने का सिक्का, चांदी का सिक्का या चौकोर टुकडा लें पानी में बहा दें आदि अब इन से पुछें यह आऐगा कहां से ? अगर बेचारे के पास इतने ही पैसे होते हो वह परेशान ही क्यों होता। अब आजादी के नाम पर सब कुछ जायज है, तो आम जनता को भी तो आजादी है कुछ बोलने और करने की और आम जनता ने कुछ बोला और किया तो फिर क्या होगा.......? 1 फरवरी, 2009
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