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आईसीआईसीआई की हालत खराब किसने की, प्रबन्धकों ने या सटोरियों अथवा भोंपू चैनलों के सलाहकारों आदि....?

हाल ही में आये वित्तीय परिणामों में बैंक ने लाभ ही दर्शाया है चाहे कम ही सही पर लाभ तो है ! विदेशी घाटे और बैंक की हालत खराब बताने वालों के मुंह पर तो तमाचा ही है। खाम खां बैंक खातों से पैसे निकलवा दिये लोगों के ! शेयर्स के भाव तोड कर लाखों निवेशकों का मटियामेट किया सो अलग ! सबकुछ करने के बाद भी बैंक ने फायदा ही दर्शाया है। अब सवाल यह है कि अगर विदेश में घाटा था तो उसका क्या हुआ ? सलाहकारों ने तो इस घाटे के कारण पता नहीं क्या-क्या अफवाहें फैलाई थी उसका भी बैंक प्रबन्धकों ने सही तरीके से और सही समय पर खण्डन नहीं किया और किया तब तक काफी देर हो चुकी थी। सलाहकारों व सटौरियों के खिलाफ कार्यवाही तो आजतक नहीं हुई ? अफवाहों और सलाहकारों की बात को ध्यान से समझा जाये तो सत्यम की तरह इस बैंक के बहीखातों और प्रबन्धकों की भी जांच तत्काल की जानी चाहिये। यह कार्यवाही इस लिये भी होनी चाहिये ताकि सच्चाई सामने आये और पता चले की बैंक सही था, प्रबन्धन सही था या बाजार खराब करने वाले सलाहकार सही थे। यह बात भी गौर करने वाली है की अभी तक किसी भी सलाहकार अथवा भोंपू चैनल आदि पर बैंक और उसके प्रबन्धन ने कोई कार्यवाही नहीं की है ना ही शिकायत दर्ज करवाई है। कारण साफ है बाजार में मिलीभगत की बातें होना और निवेशकों व आम जनता का बैंक व प्रबन्धन को शक के दायरे में रखना। अब सबकुछ विदेशी निवेशकों अथवा बाजारों पर तो नहीं फैंका जा सकता, इसके पीछे यहां भी तो किसी न किसी का समर्थन है। क्या घोटालों-अफवाओं-सलाहों आदि की जांच के लिये भी शायद हमें विदेशियों को बुलाने या मदद की आवश्यकता होगी। 28 जनवरी, 2009
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