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कम्पनी बोर्ड में सरकारी, सेबी, एक्सचेंजों के प्रतिनिधियों की
भूमिका की सख्त जांच हो !

कम्पनियों में सरकारी तथा अन्य संस्थानों के मनोनित प्रतिनिधियों की भूमिका की भी जांच करनी चाहिये ! ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ मनोनित प्रतिनिधी अहम बोर्ड मीटिंगों में अनुपस्थित रहकर कम्पनियों को फायदा पहुंचाते रहे हैं। यह जांच सभी सूचीबद्ध कम्पनियों के मनोनित प्रतिनिधियों की, हाल में कम्पनियों पर लगे आरोपों के मददेनजर व्यक्तिगत जांच की जानी आवश्यक हो गई है। कम्पनियों पर लगे आरोपों को देखते हुये और इन आरोपों की जांच में आ रही परेशानियों तथा एक्सचेंजों एवं सेबी को मामले की जानकारी नहीं देने अथवा जानकारी में देरी करने या मनोनित प्रतिनिधि द्धारा अपने विभाग को समय पर जानकारी देने में लापरवाही आदि के आरोपों के चलते यह जांच सर्वोच्च न्यायालय के आधीन की जानी चाहिये ताकि आरोपी कम्पनियों, संस्थाओं, विभागों की सही तस्वीर सामने आ सके। इस तस्वीर से ही आधी से ज्यादा समस्या खत्म हो जायेगी। साथ ही लापरवाही करने वाले को कडी सजा भी मिलने की सम्भावना बढेगी। अब जांच मिलीभगत होने के चलते कोई भी पक्ष नहीं करवाना चाहेगा, यह भी एक गम्भीर स्थिति है। वर्तमान की जांचों में मनोनित प्रतिनिधियों को अनदेखा करते हुये जांच की जा रही है और यह जांच केवल बोर्ड के मुख्याओं तक ही सीमित रखी गई है। जबकि पूरे बोर्ड के साथ-साथ इन मनोमित प्रतिनिधियों की भी उतनी ही जुम्मेदारी है जितनी बोर्ड के मुख्याओं अथवा कम्पनी के मुख्याओं की है। 23 जनवरी, 2009
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