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अन्तरिम बजट पर आम जनता को मीडिया ने उल्लू बनाने की कोशिश जारी रखी ?

आज पेश किया गया बजट कोई आम बजट नहीं था, आम बजट तो नई सरकार लायेगी वह भी जून के आसपास ! लेकिन बाजार की जानकारी देने वाले मीडिया चाहे इलेक्ट्रानिक हो या प्रिन्ट ने इस अन्तरिम बजट में छूट की काफी आस लगाई ? अब अन्तरिम बजट पर बोलती नहीं निकल रही क्या कहें समझ में नहीं आ रहा ? इस तरह के बजट में केवल अनुदान मांगे ही रखी जाती है ताकि नये साल में किसी तरह की परेशानी ना हो ! इस तरह के अन्तरिम बजट में नया कुछ नहीं होता, यह शायद नये जमाने के हमारे मीडियाकर्मियों को पहली बार पता चला। अरे भाई लोगों पिछले बजटों के बारे में ही पता कर लिया होता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती। कहीं जानबूझ कर ऐसी हरकत तो नहीं की गई है आम जनता को गुमराह करने की, ताकि लोगों में आशा जगाई जाये और अन्तरिम बजट के बाद निराशा के नाम पर मार्केट को तोडाफोडा जाये और दहशत फैलाई जाये। अपने आप को सबसे तेज, सबसे आगे, सबसे अच्छा, सबसे ज्यादा पाकिस्तान और अफगानिस्तान की खबर रखने वाले हमारे मीडिया हाउसों को शायद इस तरह के कार्य के लिये तो लाइसेंस नहीं दिये गये थे। क्या इनको बाजार में दहशत, अफवाह, गलत जानकारी आदि के लिये सुविधायें दी जा रही है। या इन्हें गलत जानकारी देने के लिये ही लाइसेंस दिया गया है या ऐसा करने के लिये इन्हें प्रेरित तो नहीं किया जारहा है, किसी राजनैतिक दल द्वारा चाहे यह पक्ष हो या विपक्ष कुछ तो गडबड है ही। पाकिस्तान के मीडिया पर पाबन्दी लगाने वालों इस देश के मीडिया की करनी भी तो देखो ? 16 फरवरी, 2009
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