टीवी या समाचार पत्रों में साया होने से अर्थव्यवस्था नहीं सुधरती ?
हमारे वित्तमंत्री का मानना है कि सेंसेक्स देश का आईना नहीं है। इससे हमारी अर्थव्यवस्था और घोटाले घपलों को नहीं नापना चाहिये ? लगभग एक साल पहले यही सज्जन इसही सेंसेक्स को दिखा कर जनता को सजबाग दिखा रहे थे। हमारे देश के शेयर्स मार्केट में कोई कमी नहीं है। चंद उपाय करके इसे ग्लोबलाइजेशन के नाम पर हो सही सटटेबाजी से बचाया जा सकता है। पहला इंडेक्स में ट्रेडिंग पर रोक, पुट और काल पर तत्काल रोक, शोर्टसेल पर अविलम्ब रोक लगाने मात्र से ही हमारे बाजारों में स्थिरता तत्काल आ जायेगी ! साथ ही कम्पनियों में पडे रिर्जव अथवा सरप्लस फाण्डों से स्वंय के शेयर्स बायबैक करने का स्पष्ट निर्देश इस शर्त के साथ कि वे कम से कम एक साल तक इसे नहीं बेचेगें ! हमारी विशेषज्ञ टीम को लगता है, इन उपायों से ही 90 प्रतिशत समस्या का समाधान हो जायेगा ! 10 प्रतिशत समस्या सटोरियों से कडाई निपटने मात्र से ही पूरी हो जायेगी ! इसके अलावा अगर आवश्यक हो तो सरकार स्पष्ट और कडे कदम उठा सकती है। बेशर्त की इनको कडाई से लागू किया जाये । केवल मात्र टीवी या समाचार पत्रों में साया होने से अर्थव्यवस्था नहीं सुधरती है। उपरोक्त उपायों के बाद हमें लगता है सरकार को किसी भी प्रकार के पैकेज देने की आवश्यकता ही नहीं पडेगी । लेकिन कडे कदम तो उठाने ही होंगे, उठाने पडेगें । कहावत है काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ?