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पेंशन के लिये निवेश किया है तो कम्पनियों के बहीखाते भी देखें, क्या यह पेंशन देने लायक भी रहेंगी या नहीं ?

छोटे निवेशकों को बाजार से लूटखसोट कर बाहर तो कर दिया लेकिन अब इन निवेशकों को हुये नुकसान के चलते अर्थव्यवस्था के लिये पैदा हुये खतरे के बारे में अभी तक किसी ने नहीं सोचा ? जैसे छोटे दुकानदारों को बाजार से दूर करने के लिये बडे-बडे माल खोले गये, कुछ ही माह में इन मालों याने पूंजीपतियों की दुकाने बन्द भी होने लगी, इस सबसे बेरोजगारी तो बढी ही बाजार पर से उपभोक्ताओं का विश्वास भी खत्म हो गया। क्योंकि परेशानी के समय यही छोटे दुकानकार आम उपभोक्ताओं को राहत देते थे, यही कारण है कि आज भी उनका विश्वास बना हुआ है। लेकिन स्टाक मार्केट में छोटे निवेशकों का विश्वास बनाने में और नुकसान की भरपाई होना बहुत ही कठीन है। इस सबके चलते उन बीमा कम्पनियों की हालत भी खराब होते नजर आ रही है, जो रिटायर्मेंट के बाद पेंशन के रूप में भुगतान करने का दावा कर रही है। कहीं ऐसा ना हो की इनकी भी हालत पेडपौधे लगाने वाली कम्पनियों जैसी नजर आये। ऐसा होने से पहले अथवा निवेश से पहले वर्तमान में इनके बहीखातों की स्थिति नियामकों द्वारा जनता के सामने अधिकृत रूप से रखनी ही चाहिये। क्योंकि होने वाले घोटाले की जुम्मेदारी तो किसी की होनी चाहिये ? पेंशन का इन्तजार करने वालों पेंशन तो 8-10-15 या 20 साल बाद मिलेगी लेकिन इसे देने के लिये कम्पनियों के पास निवेश किया गया कितना पैसा बचा है यह तो अभी से जाने ताकि बाद में रोना ना पडे। 6 मार्च, 2009
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