मुद्रास्फीति की दर छह वर्षो के न्यूनतम स्तर पर, क्या सही है ?
मुद्रास्फीति की दर 21 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में 3.36 फीसदी से घटकर 3.03 पर आ गई है। यह जानकारी आधिकारिक आंकडों में दी गई है। मुद्रास्फीति की दर में यह गिरावट लगातार पांचवें सप्ताह आई है और यह छह वर्षो के न्यूनतम स्तर पर आ गई है।लेकिन अभी तक खाद्य पदार्थों और आवश्यक वस्तुओं के दामों में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई है। केवल आंकडे ही कम हुये हैं। चीनी के दाम आज 22 रूपये से उपर हैं जो की एक माह पहले 20 रूपये के आसपास थे। इस ही तरह आम जरूरत की वस्तुओं में दाम घटे नहीं बढे ही हैं, तो मंहगाई किस कोने से कम हुई है। परिवहन के संसाधनों का किराया कम नहीं हुआ है, ना ही मालभाडे में कोई खास कमी हुई है। हां, कमी हुई है तो उन बडी दुकानों की जो अब बन्द होने लगी है, जैसे इण्डिया बुल का माल, सुभिक्षा की दुकान आदि ? वहीं रूपया लगभग 52 रूपये प्रति डालर पहुंच गया है, याने रूपये की कीमत में भारी गिरावट ! साथ ही रूपये का अवमूल्यन भी तो देखो तब पता चलेगा की वास्तव में खरीद क्षमता क्या है रूपये की ! दिखाये गये आंकडे मात्र जनता के लिये छलावा ही है। आम जनता को राहत तो आज भी मौहल्ले कि छोटी दुकान ही दे रही है जिसे बन्द करने के सरकार और पूंजीपतियों ने ऐडीचौटी का जोर लगाया था। आंकडों पर विश्वास केवल मीडिया, सरकारी रेकार्ड और सटोरिये ही करते होंगे, लेकिन देश की जनता तो इसे भुगत रही है, वह सही है। 5 मार्च, 2009