सत्यम लेनेवालों सुभिक्षा क्यों नहीं लेते ?
SATYAM को बचाने वालों में सरकार और बडी कम्पनियां आगे आई, यह बात अलग है कि बचाया किसे जायेगा ! कर्मचारियों, सरकारी अफसरों, नेताओं या बडे रसूखवालों आदि को ? लेकिन SUBHIKSHA के कर्मचारियों को कौन बचायेगा ? इसके कर्मचारियों के लिये अब क्यों नहीं आगे आ रहे हैं। क्यों नहीं SATYAM के साथ इस बडी दुकान को बचाया जा रहा है। SATYAM जैसी कम्पनी के लिये जो माथापच्ची की जा रही है वह SUBHIKSHA के लिये क्यों नहीं चालू की जा रही है। क्यों नहीं प्रमोटरों के खिलाफ कार्यवाही और जांच के आदेश दिये जा रहे है। क्यों SUBHIKSHA में अचानक इस तरह के हालात पैदा हुये कि कर्मचारियों को अपना अस्तित्व बचाने का भी समय नहीं दिया गया। SATYAM के लिये हायतोबा करने वालों SUBHIKSHA के लिये भी जागो ! सुभिक्षा ही क्यों अभी तो बहुत सारी कम्पनियों के लिये जागना पडेगा। आखीर पैकेज जो देना है। नहीं तो फण्ड लेप्स हो जायेंगे और किसी काम के नहीं रहेगें ? याने हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ वाली कहावत तो नहीं है सत्यम के मामले में कहीं कुछ तो गडबड तो है ? अब समय ही कहां है, बेचारों के पास क्योंकि चुनाव जो आ रहे हैं। अरे भई मार्च के प्रथम सप्ताह में ही तो चुनाव आचार सहिंता लागू होने वाली है। 9 फरवरी, 2009