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देश ही नहीं प्रदेश और जिलों में भी पैट्रोल,डीजल,केरोसीन,गैस की
दरें अलग-अलग क्यों ?

यह सभी जानते हैं कि पैट्रोल,डीजल,केरोसिन,गैस की प्रदेश ही नहीं जिले में भी अलग-अलग दरें हैं। जबकि सरकार सभी वस्तुओं को देश में एक ही दर पर बेचने के लिये दबाव बनाती है और कम्पनियां एमआरपी तैय करती हैं व उसही पर पूरे देश में सामान बेचा जाता है। तो फिर सरकार पैट्रोल,डीजल,केरोसीन,गैस को अलग-अलग दामों पर क्यों बेच रही है। सरकार का यह दोगलापन क्यों ? नियम सभी के लिये एक समान हैं तो सरकारी कम्पनियों पर लगाम क्यों नहीं ? प्रति दिन का घाटा बताने वाली इन कम्पनियों को बाजार दर एवं मार्केट दर के अन्तर पर सब्सिडी का भी तो हिसाब लगाना चाहिये ? तब निकलेगा सही अन्तर ! वर्तमान में पैट्रोल,डीजल,केरोसीन,गैस पर इन कम्पनियों को अपना पूरा घाटा कम करने के बाद भी काफी फायदा हो रहा है। जिसे सरकार की शह पर घाटे के रूप में जनता के सामने रखा जाता रहा है। अब इन से पूछा जाये कि सब्सिडी कहां है तो बेचारे बगलें झांकते नजर आऐंगे ! प्रदेशों में अलग-अलग दर होने के कारण आम जनता को होने वाला नुकसान अगल। हमारा तो सरकार से यही आग्रह है कि देश में पैट्रोल,डीजल,केरोसीन,गैस समान दर लागू की जाये वह भी आम बजट तक ! इससे पूरे देश में समान रूप से पैट्रोल,डीजल,केरोसीन,गैस एक ही दाम पर मिलेगें और जनता को डीलरों द्वारा लूटखसोट से बचाया जा सकेगा।
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