इण्डेक्स में शामिल सभी कम्पनियों की सख्ती के साथ जांच हो ! रिलायंस ग्रुप सहित इण्डेक्स में शामिल सभी कम्पनियों की सभी तरह की जांच की जानी चाहिये ! मुख्य तौर पर बहीखातों, एक्सचेंजों में हो रहे मोटे सौदों, विदेशी सौदे जिन्हें कुछ कम्पनियों ने घाटे के रूप में बताया है जबकि यह निवेश के दायरे में आता है। इस जांच के दायरे में उन आपरेटरों, सहयोगियों, दलालों, अधिकारियों, ऐक्सचेंजों, सेबी सहित सम्बन्धितों को भी लिया जाना चाहिये ! रिलायंस के मामले में इससे सम्बन्धित सभी कम्पनियों को जांच दायरे में लिया जाना चाहिये। अर्थव्यवस्था को हिलाने की धमकी देने वाले इस ग्रुप में हो रही भारी अनियमितताओं पर सख्ती से कार्यवाही की जानी चाहिय। बाहर के आये आतंकवाद से देश और उसकी सेनाऐं लडने में सक्षम हैं। लेकिन इस आर्थिक आतंकवाद को इस देश के चंद लोंगों के दबाव में आकर अनदेखा नहीं किया जाना चाहिये। बिना किसी दबाव और भेदभाव के जांच कर कार्यवाही की जाये तो हकीकत सामने आ जायेगी ! यह हकीकत अपने आप में काफी कडवी है ! आईसीआईसीआई बैंक के मामले में भी सरकार ने काफी लापरवाही बर्ती और आज भी लापरवाही बर्ती जा रही है। सत्यम के मामले में भी लापरवाही। रिलायंस घोटाले में आजतक किसी सरकारी विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है। कारण कुछ भी हों चाहे राजनैतिक दलों को मिलने वाला मोटा चंदा हो, राजनैताओं को मिलने वाला संरक्षण/चंदा हो या अर्थव्यवस्था को हिलाने की धमकी ? बार-बार पैकेज देने वाली सरकार को चाहिये की वह पैकेज देने के बजाय इस पैसे से इन कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाना चाहिये इससे निवेशकों का भरोसा भी लौटेगा और निवेशकों के पैसे से वेतन के नाम पर मोटी रकम लेने वाले और अपने आप को मालिक कहने वाले इन प्रमोटरों पर भी लगाम लगेगी ! राष्ट्रहित में उठ रही निवेशकों की आवाज को ज्यादा समय तक नहीं दबाया जा सकता है, सीआरबी घोटाला, जेवीजी घोटाला, वत्सा ग्रुप का घोटाला, हाउसिंग कम्पनियों का घोटाला, सत्यम घोटाला आदि ! घोटालों की जांच के लिये बहाने बनाना छोड सरकार को तत्काल सख्त कार्यवाही के लिये निर्देश दिये जाने चाहिये और इसके लिये समय सीमा पर सख्ती से अमल किया जाना चाहिये। साथ ही इन बडे लापरवाहों के मामले में लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये। इनकी सारी सम्पत्तियां जब्त कर आम जनता को वापस लौटानी चाहिये तब ही सही मायने में इस देश के कानूनों की पालना मानी जा सकती है। इस देश के इतिहास में हजारों घोटालों की जांच आज भी जारी है यह बात अलग है कि बेचारे निवेशक अपनी पूंजी वापसी का इन्तजार करते करते भगवान को प्यारे हो गये। निवेशकों को तत्काल उनकी पूंजी दिलवाई जाये, घोटाले की आरोपी कम्पनी को सरकार तत्काल अपने कब्जे में ले, सेबी, ऐक्सचेंजों के लापरवाह अधिकारियों पर राष्ट्रीय सम्पत्ति को हानि पहुंचाने का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिये। 9 जनवरी, 2009 |