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जल्दी लोन मत चुकाओ और चुकाओ तो ज्यादा दो, क्यों ?

आर्थिक स्थिति का रोजना रोने वाले और बार-बार ब्याज दर, सीआरआर आदि कम करने का दबाव बनाने वाले बैंक अब उन लोगों को परेशान करना चाहते हैं जो अपना लोन समय से पहले पूरा चुकाना चाहते हैं। लेकिन बैंक है कि लेना ही नहीं चाहते, उन्होंने दबाव बनाने के लिये चुकाये जाने वाले लोन कि फीस को दो प्रतिशत से बढा कर तीन प्रतिशत कर दिया है। यह किया है एचडीफसी बैंक ने क्यों कि बैंक नहीं चाहता है कि आप लोन वापस करें। इस तरह की हरकतों के बजाय बैंक ली जाने वाली इस पूरी फीस को ही खत्म कर देता तो अच्छा होता। अरे पैसा तो वापस आ रहा है, नहीं तो रोना ही रो रहे थे, बाजार में पैसा नहीं है। लिक्विडिटी कम है ऐसा है, वैसा है ? अब सरकारी निकायों, आरबीआई और सरकार को तो यह दिखता नहीं की आम जनता चुकाना चाहती है लेकिन बैंक ही लेने में आनाकानी और परेशानी पैदा कर रहे हैं। इस तरह की हरकत पर सरकारी निकायों, आरबीआई और सरकार कौन सी आंख से पैनी नजर रख रही है, यह तो वे ही जाने, लेकिन शायद कार्यवाही के लिये उन्हें कोई विदेशी संगठन या जांच ऐजेन्सी की आवश्यकता पडे या फिर इनकी पैनी नजर में ही कोई खोट है। तभी तो इस तरह के निर्णय लिये जा रहे हैं। क्या यह भी निकायों, आरबीआई और सरकार को बिना बताये लिये गये निर्णय है। अगर ऐसा है तो फिर आवश्यकता ही क्या है ऐसी पेनी नजर की इस देश को, अगर इस की जानकारी इन्हें दी गई है, तो कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। साफ है लोन चुकाया तो भी परेशान किया जाना है, नहीं चुकाया तो भी परेशान किया जाना है। कार्यवाही के नाम पर केवल आश्वासन ही है।
24 फरवरी, 2009

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