9 नवम्बर, 2008
पूंजीपतियों को आर्थिक पैकेज आम जनता को क्यों नहीं ?
पूंजीपतियों को कम ब्याज पर और आम जनता को दूगने से भी
बैंकों द्वारा आम जनता की जमा राशि पर ब्याज दर कम करने से फिर एक नुकसान आम जनता को और लोन पर ब्याज दर कम करने से बडे पूंजीपतियों को भारी फायदा साथ में आर्थिक पैकेज का लाभ भी। आम जनता को क्या मिला ? 25 से 35 प्रतिशत पर भी लोन नहीं मिलने वाला आम जनता को तो ? जरा इनके लोन भी तो माफ कर दिये होते देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री महोदय ! ताकि आम जनता को कुछ तो राहत मिलती ! कम्पनीयों का उत्पादन कम करने के नाम पर नौकरियों से निकालने वालों को तो पैकेज-आर्थिक सहायता न जाने क्या-क्या मदद ? नौकरियों से निकलने वालों को कम से कम बेरोजगारी भत्ते की ही व्यवस्था करने की घोषण कर दी होती हमारी सरकार ने तो शायद हजारों परिवारों को कुछ राहत तो मिलती ! हजारों परिवारों की बलि चढा कर चंद पूंजीपतियों को फायदा देना आम जनता के साथ साफ-साफ घोखा देने के समान है। जो लूटेरे आम जनता से 25 से 35 प्रतिशत तक सूद वसूल रहे हैं उन पर भी तो रोक लगाई जानी चाहिये ? पूंजीपतियों को ब्याज में राहत याने वे 12 प्रतिशत से भी कम चुकायेंगे और आम जनता 25 से 35 प्रतिशत ब्याज यह को साफ-साफ लूट है। पूंजीपतियों को ब्याज में छूट पर छूट और आम जनता को मंहगाई बोनस में कहां का न्याय है ? आम जनता तो दरकिनार कर किसी भी देश कि सरकार और पूंजीपति कुछ माह के लिये ही नजर आऐंगे क्योंकि रहना तो इन्हें इस देश की आम जनता के साथ ही है, अमेरीका या अन्य देश में तो नो एन्ट्री........और यहां कि जनता जब लूटना शुरू करेगी तो याद आऐंगे हमारे पूर्वज नेता जिनके जमाने में जनता ने लूटना शुरू किया तो हर चीज के भाव जमीन पर.....?
पूंजीपतियों को आर्थिक पैकेज आम जनता को क्यों नहीं ?
पूंजीपतियों को कम ब्याज पर और आम जनता को दूगने से भी
ज्यादा ब्याज पर लोन क्यों ?
बैंकों द्वारा आम जनता की जमा राशि पर ब्याज दर कम करने से फिर एक नुकसान आम जनता को और लोन पर ब्याज दर कम करने से बडे पूंजीपतियों को भारी फायदा साथ में आर्थिक पैकेज का लाभ भी। आम जनता को क्या मिला ? 25 से 35 प्रतिशत पर भी लोन नहीं मिलने वाला आम जनता को तो ? जरा इनके लोन भी तो माफ कर दिये होते देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री महोदय ! ताकि आम जनता को कुछ तो राहत मिलती ! कम्पनीयों का उत्पादन कम करने के नाम पर नौकरियों से निकालने वालों को तो पैकेज-आर्थिक सहायता न जाने क्या-क्या मदद ? नौकरियों से निकलने वालों को कम से कम बेरोजगारी भत्ते की ही व्यवस्था करने की घोषण कर दी होती हमारी सरकार ने तो शायद हजारों परिवारों को कुछ राहत तो मिलती ! हजारों परिवारों की बलि चढा कर चंद पूंजीपतियों को फायदा देना आम जनता के साथ साफ-साफ घोखा देने के समान है। जो लूटेरे आम जनता से 25 से 35 प्रतिशत तक सूद वसूल रहे हैं उन पर भी तो रोक लगाई जानी चाहिये ? पूंजीपतियों को ब्याज में राहत याने वे 12 प्रतिशत से भी कम चुकायेंगे और आम जनता 25 से 35 प्रतिशत ब्याज यह को साफ-साफ लूट है। पूंजीपतियों को ब्याज में छूट पर छूट और आम जनता को मंहगाई बोनस में कहां का न्याय है ? आम जनता तो दरकिनार कर किसी भी देश कि सरकार और पूंजीपति कुछ माह के लिये ही नजर आऐंगे क्योंकि रहना तो इन्हें इस देश की आम जनता के साथ ही है, अमेरीका या अन्य देश में तो नो एन्ट्री........और यहां कि जनता जब लूटना शुरू करेगी तो याद आऐंगे हमारे पूर्वज नेता जिनके जमाने में जनता ने लूटना शुरू किया तो हर चीज के भाव जमीन पर.....?