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3 नवम्बर, 2008

कौन झूंटा है, देश के प्रधानमंत्री या वित्तमंत्री ?

कौन झूंटा है, देश के प्रधानमंत्री या वित्तमंत्री ? क्योंकि प्रधानमंत्री जी कहते हैं विश्वबैंक को लोन देंगे और वित्तमंत्री कहते हैं डालर की कमी है। वह भी देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री जैसे जुम्मेदार पद पर बैठे व्यक्तित्व द्वारा इस तरह के बयानों से देश की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं, यह तो अब इन्हें ही बताना होगा ?
देश में विदेशी मुद्रा की कमी होने की आशंका जब पहले से ही जाहिर हो रही थी तो डालर में वायदा कारोबार किसके लिये शुरू किया गया ? साफ है कालाबाजारी, जमाखोरी और सटोरियों को बढावा देने के लिये और देश में डालर की कमी पैदा करने के लिये ! जब खुद सरकार ही जनता को बेवकूफ बनाना चाहती है और सरकारी नौकरशाह, बेचारे जी हजूरी, तो करेंगे ही ! आम जरूरत की वस्तुओं के वायदा पर कुछ समय के लिये रोक लगाने से मंहगाई कम हुई, अब तो सभी तरह के वायदा कारोबार पर रोक लगाने का निर्णय भी ले ही लें, ताकि कालाबाजारी, जमाखोरी पर लगाम लेगे और आम जनता को राहत मिले !
देश के नेताओं द्वारा गलत बयानी, कालाबाजारी, जमाखोरी और सटोरियों पर रोक के बजाय इसे बढावा देना, वायदा को बढावा देना, विदेशियों के लिये एक्सचेंज में 35 प्रतिशत पर लगने वाले सर्किटब्रेकर को बढा कर उन्हें फायदा पहुंचाना आदि से साफ हो जाता है कि इस देश की जनता के साथ धोखा किया जा रहा है। कानून सब के लिये समान है तो विदेशियों को छूट ओर देश के 20 करोड से अधिक निवेशकों को नहीं आखीर क्यों ?
गलत बयानी से भी तो यह जाहिर होता रहा है कि हमारे नेता जनता को गुमराह कर रहे हैं ? देशहित की बात करने वाले ये ही नेता जिस तरह देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं, यह इस देश का सबसे बडा र्दुभाग्य ही कहा जायेगा !
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