31 अक्टूबर, 2008
अमेरीका में 7000 बेरोजगार और भारत में बेरोजगार कितने हैं ?
अमेरीका में नौकरियों के कम होने का समाचार हम सभी बार-बार हर सप्ताह में देखते हैं। लेकिन वास्तव में होता क्या है यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा ? अमेरीका-चीन-जापान आदि देशों में बेरोजगारों को साप्ताहित नौकरियां दी जाती है, बाकी समय उन्हें बेरोजगारी भत्ता मिलता है। सोमवार को रखा जाता है और शनिवार को हटा दिया जाता है, फिर सोमवार को बेरोजगारों की लिस्ट में से बेरोजगारों को रखा जाता है यह प्रक्रिया सालों से चली आ रही है। लेकिन हमारा मीडिया इस प्रक्रिया को नहीं बताता है, बताया जाता केवल नौकरी से हटने वालों की संख्या के बारे में, अगले कार्यदिवस पर मिलने वाली नौकरी के बारे में कोई नहीं बताता ? यह प्रक्रिया भारत में उपलब्ध नहीं है। यहां तो बेरोजगारों की लिस्ट में नाम जोडने के लिये ही लोगों को महिनों भटकना पडता है। जबकि अमेरीका में बेरोजगार होते ही भत्ता चालू ! अमेरीका आदि देशों में हर नागरिक को काम देने की जुम्मेदारी सरकार की है काम नहीं तो भत्ता चालू ! जबकि भारत में नौकरी गई तो बेरोजगारों की लिस्ट में वापस नाम नहीं जोडा जाता है और ना ही भत्ता दिया जाता है। ऐसे में अमेरीका-चीन-जापान आदि में नौकरियों के कम होने से आम जनता और कम्पनियों पर कोई प्रभाव नहीं पडता ! अमेरीका में यह सुविधा देश के हर नागरिक को उपलब्ध है। लेकिन भारत में बेरोजगारों को अपना नाम जुडवाने के लिये ही बेरोजगार कार्यालय के चक्कर लगा-लगा कर थका दिया जाता है। अमेरीका के बेरोजगारों को आधार मान कर भारत में तुलना करना बेमानी ही है। भारत में नौकरी जाने के बाद बेरोजगारों की लिस्ट में तुरन्त नाम जोडना और भत्ता चालू करने के लिये भी आधारभूत ढांचा ही नहीं है। भत्ता देना तो दूर की बात है। दूसरे देश के आंकडे बता कर इस देश के नागरिकों को बेवकूफ बनाने का एक तरीका मात्र है। छोटी समस्या के आगे उससे बडी समस्या का डर दिखा कर आम लोगों को चुप रहने पर मजबूर करना और अपना उल्लू सीधा करना ही कहेंगे इसे तो !
अमेरीका में 7000 बेरोजगार और भारत में बेरोजगार कितने हैं ?
अमेरीका में नौकरियों के कम होने का समाचार हम सभी बार-बार हर सप्ताह में देखते हैं। लेकिन वास्तव में होता क्या है यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा ? अमेरीका-चीन-जापान आदि देशों में बेरोजगारों को साप्ताहित नौकरियां दी जाती है, बाकी समय उन्हें बेरोजगारी भत्ता मिलता है। सोमवार को रखा जाता है और शनिवार को हटा दिया जाता है, फिर सोमवार को बेरोजगारों की लिस्ट में से बेरोजगारों को रखा जाता है यह प्रक्रिया सालों से चली आ रही है। लेकिन हमारा मीडिया इस प्रक्रिया को नहीं बताता है, बताया जाता केवल नौकरी से हटने वालों की संख्या के बारे में, अगले कार्यदिवस पर मिलने वाली नौकरी के बारे में कोई नहीं बताता ? यह प्रक्रिया भारत में उपलब्ध नहीं है। यहां तो बेरोजगारों की लिस्ट में नाम जोडने के लिये ही लोगों को महिनों भटकना पडता है। जबकि अमेरीका में बेरोजगार होते ही भत्ता चालू ! अमेरीका आदि देशों में हर नागरिक को काम देने की जुम्मेदारी सरकार की है काम नहीं तो भत्ता चालू ! जबकि भारत में नौकरी गई तो बेरोजगारों की लिस्ट में वापस नाम नहीं जोडा जाता है और ना ही भत्ता दिया जाता है। ऐसे में अमेरीका-चीन-जापान आदि में नौकरियों के कम होने से आम जनता और कम्पनियों पर कोई प्रभाव नहीं पडता ! अमेरीका में यह सुविधा देश के हर नागरिक को उपलब्ध है। लेकिन भारत में बेरोजगारों को अपना नाम जुडवाने के लिये ही बेरोजगार कार्यालय के चक्कर लगा-लगा कर थका दिया जाता है। अमेरीका के बेरोजगारों को आधार मान कर भारत में तुलना करना बेमानी ही है। भारत में नौकरी जाने के बाद बेरोजगारों की लिस्ट में तुरन्त नाम जोडना और भत्ता चालू करने के लिये भी आधारभूत ढांचा ही नहीं है। भत्ता देना तो दूर की बात है। दूसरे देश के आंकडे बता कर इस देश के नागरिकों को बेवकूफ बनाने का एक तरीका मात्र है। छोटी समस्या के आगे उससे बडी समस्या का डर दिखा कर आम लोगों को चुप रहने पर मजबूर करना और अपना उल्लू सीधा करना ही कहेंगे इसे तो !