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24/10/2008
अधिकतर कम्पनियों ने तिमाही में फायदा दर्शाया है।
कुछ ने विदेशी निवेश को घाटे के रूप में दर्शाया ?

हाल ही के दिनों में कम्पनियों की तिमाही रिपोर्ट के अनुसार कम्पनियों को फायदा हुआ है। हां, कुछ कम्पनियों ने अपने विदेशी निवेश को घाटे के रूप में दर्शाया है। अब देखना है कि इस विदेशी निवेश को घाटे के रूप में सरकार और उसके बनाये निकाय इसे स्वीकारते हैं या नहीं ? इस पर देश के निकायों की प्रतिक्रिया भी जल्द ही आपके सामने होगी तब आप सभी को विचार करना होगा कौन सही है और कौन गलत ? कौन धोखा दे रहा है और कौन इसमें मदद कर रहा है ? अब बात करें फायदा कमाने व बायबैक करने वाली कम्पनियों की, अगर सरकार व उसके निकय इन कम्पनियों के रिजर्व अथवा सरप्लस फण्ड से स्वंय के शेयर्स बायबैक करने का तत्काल आदेश जारी कर सकते हैं, क्यों कि शेयर्स जारी करने के भाव से 50 प्रतिशत से भी अधिक नीचे यह अब उपलब्ध है। इसके साथ हाल ही एक कम्पनी स्वंय के शेयर्स 600 रूपये में बायबैक करने वाली थी, जो अब बाजार में 260 से भी नीचे मिल रहे हैं, अब बायबैक क्यों नहीं हो रहा ? क्यों नहीं सरकारी निकाय बायबैक करवा रहे हैं ? जब इस कम्पनी के पास 600 रूपये में बायबैक करने के लिये फण्ड थे तो अब 300 रूपये तक में बायबैक करने से शायद हजारों निवेशकों को राहत मिले और सरकार व निकायों को अतिरिक्त पैसा ! कम्पनियों के पास पडे फण्ड का उपयोग अगर आपात स्थित में नहीं किया जायेगा तो फिर इन फण्डों में पैसा रखने का क्या फायदा है ? खरबों रूपये के इस फण्ड को सख्त आदेश जारी कर बायबैक में काम लेने के निर्देश दिये जाने चाहिये और निर्देश नहीं मानने वाली कम्पनियों का फण्ड राष्ट्रहित में जप्त कर सरकार को अपने निकायों के माध्यम से बायबैक करना चाहिये ! इस तरह की कार्यवाही से किसी भी कम्पनी को कोई भी किसी भी स्तर पर किसी भी तरह का कोई नुकशान नहीं होने वाला है। जारीकर्ता कम्पनी अपने शेयर्स बायबैक करे वह भी रिर्जव फण्ड या सरप्लस जो की सभी कम्पनीयों के पास भरपुर मात्रा में उपलब्ध है, तो फिर जनहित में निर्णय लेने में सरकारी तन्त्र को कोई परेशानी होनी ही नहीं चाहिये ! समस्या को कम करना है तो उपायों पर कडाई से निर्णय लेना ही होगा और पूरी प्रक्रिया में लापरवाहों पर भी सख्त कार्यवाही के लिये तैयार रहना पडेगा, सिर्फ और सिर्फ नजर रखने या देखते रहने से कुछ नहीं होने वाला है ? निर्णय लेने की हिम्मत तो जुटानी ही होगी सरकार और उसके निकायों को, अगर इस देश को बचाना है....?
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