17/10/2008
विदेशी निवेशकों की आड में शेयर्स मार्केट में जो तोडफोड हुई है। वह तो जगजाहीर है, क्या कार्यवाही की हमारी सरकार और उसके बनाये सुरक्षातंत्र ने यह भी सभी जानते हैं। आम निवेशकों को हम यह स्पष्ट बताना चाहेंगे विदेशी निवेशकों की आड में उन शेयर्स को भी तोडा गया है जिन में विदेशी निवेशकों का दूर तक कोई लेना देना ही नहीं है। 80 से 300 प्रतिशत से भी अधिक तक इन में गिरावट लाई गई है। अगर यह करतुत विदेशी निवेशकों की है, तो तत्काल उनके द्वारा भारत में लगाई गई पूंजी को जब्त किया जाये, क्योंकि इन शेयर्स में उनको निवेश की अनुमती ही नहीं दी गई है। अगर विदेशी निवेशकों की करतुत नहीं है तो साफ है, इसकी स्पष्ट जानकारी सम्बन्धित सभी सरकारी तन्त्र को थी और है। बहुत ही साफ सुथरी सी बात है, देश में सरकारी स्तर पर यह मंदी का दौर प्रायोजित है ? इसमें सभी बडी कम्पनियां और बैंक सहित बेडे पूंजीपतियों का साफ तौर पर हाथ है। यही कारण है, सरकार इसको देख रही है, कबतक देखेगी यह तो हमारे अर्थशास्त्री ही बता सकते हैं। यह विदेशी निवेशकों की आड में भारी भरकम वित्तीय घोटाला है और हो रहा है। शायद यह भारत के इतिहास का सब से बडा वित्तीय घोटाला साबित हो ? यही कारण है कि सरकारी तन्त्र के पास प्रतिदिन के एक्सचेंजों के कम्प्यूटरों से प्राप्त आंकडों का अध्ययन करने के बाद भी कोई कठोर कार्यवाही नहीं की जा रही है। इन आंकडों को आम जनता के लिये जनहित में जारी किया जाना चाहिये ताकि कम से कम जनता तो निर्णय ले सके कि अब उसे क्या करना है। चोर-चोर चिल्लाने वाले कहीं खुद ही तो चोर नहीं हैं।
एक्सचेंजों से प्राप्त प्रतिदिन के आंकडों को जनहित में जारी करे सेबी और सरकार !
विदेशी निवेशकों की आड में शेयर्स मार्केट में जो तोडफोड हुई है। वह तो जगजाहीर है, क्या कार्यवाही की हमारी सरकार और उसके बनाये सुरक्षातंत्र ने यह भी सभी जानते हैं। आम निवेशकों को हम यह स्पष्ट बताना चाहेंगे विदेशी निवेशकों की आड में उन शेयर्स को भी तोडा गया है जिन में विदेशी निवेशकों का दूर तक कोई लेना देना ही नहीं है। 80 से 300 प्रतिशत से भी अधिक तक इन में गिरावट लाई गई है। अगर यह करतुत विदेशी निवेशकों की है, तो तत्काल उनके द्वारा भारत में लगाई गई पूंजी को जब्त किया जाये, क्योंकि इन शेयर्स में उनको निवेश की अनुमती ही नहीं दी गई है। अगर विदेशी निवेशकों की करतुत नहीं है तो साफ है, इसकी स्पष्ट जानकारी सम्बन्धित सभी सरकारी तन्त्र को थी और है। बहुत ही साफ सुथरी सी बात है, देश में सरकारी स्तर पर यह मंदी का दौर प्रायोजित है ? इसमें सभी बडी कम्पनियां और बैंक सहित बेडे पूंजीपतियों का साफ तौर पर हाथ है। यही कारण है, सरकार इसको देख रही है, कबतक देखेगी यह तो हमारे अर्थशास्त्री ही बता सकते हैं। यह विदेशी निवेशकों की आड में भारी भरकम वित्तीय घोटाला है और हो रहा है। शायद यह भारत के इतिहास का सब से बडा वित्तीय घोटाला साबित हो ? यही कारण है कि सरकारी तन्त्र के पास प्रतिदिन के एक्सचेंजों के कम्प्यूटरों से प्राप्त आंकडों का अध्ययन करने के बाद भी कोई कठोर कार्यवाही नहीं की जा रही है। इन आंकडों को आम जनता के लिये जनहित में जारी किया जाना चाहिये ताकि कम से कम जनता तो निर्णय ले सके कि अब उसे क्या करना है। चोर-चोर चिल्लाने वाले कहीं खुद ही तो चोर नहीं हैं।