भारी भरकम आर्थिक घोटाला कौन करा रहा है, स्वंय सरकार या विदेशी ? इन घोटालों पर कार्यवाही क्यों नहीं ?
देश पर हो रहे हमलों सभी को महसूस कर रहे हैं ! चाहे कोसी की बाढ हो या दिल्ली और आगरा में सम्भावित बाढ ! यह कोई प्राक्रतिक बाढ नहीं है। इसे कहते हैं हमारे संसाधन से हम पर ही हमला ! जी हां, सही समझे, हमारे साधन से हम पर ही हमला और नाम प्राक्रतिक आपदा का ? कोसी में पानी छोडा चीन ने इससे मरे हजारों भारतीय, लाखों लोगों की जान पर बन आई ! इसे कहते हैं हींग लगे न फिटकरी रंग चौखा आये ! याने बिना किसी हथियार के हमला और भारी नुकसान ? यही हैं नये जमाने के हमले ! दिल्ली और आगरा की सम्भावित बाढ भी एक प्राक्रतिक हमला ही तो है। समझने वाले समझे ना समझे वो अनाडी ? दूसरा हमला आर्थिक ! हमने "आईसीआईसीआई को विदेश में करोडों......" पोस्ट में बताया था कि 0.01 प्रतिशत घाटे से यह बैंक बन्द नहीं होने वाला ! सरकार और स्वंय बैंक ने इसे माना कि बैंक को कोई फर्क नहीं पडेगा इस मंदी से, मार्केट को तो सोची समझी एक साजिश क़े तहत आपरेटरों द्वारा आपरेट किया जा रहा है।
सभी ने भाषणझाड दिये समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में, लेकिन कार्यवाही क्या हुई या क्या कार्यवाही की जायेगी अथवा की जानेवाली है,यह नहीं बताया इन महानुभवी भाषणकर्ताओं ने ! इससे साफ है कि इस सारी उठापटक में सरकार और उसके प्रशासनिक अधिकारी एवं वित्तीय संस्थानों का स्पष्ट हाथ है। इस ही लिये तो कोई कार्यवाही नहीं ? सरकार लाना ही चाहती है आर्थिक मंदी, विदेशी लगे है प्राक्रतिक हमले में ! आम जनता है कि समझ ही नहीं पा रही आखिर हो क्या रहा है। विदेशी हमें उल्लू बना रहे हैं या हमारे अपने देश के चंद स्वार्थी लोग....? कहते हैं ना एक झूंट को दबाने के लिये दूसरा बडा झूंट ! डूबती अर्थव्यवस्था से ध्यान हटाने के लिये बाढ का प्रचार ? बाढ से ध्यान हटाने के लिये महाप्रयोग का प्रचार और ना जाने क्या-क्या......