जितना लूट सको लूट लो जनता को, बाकी बचेगा वह अकाल, बाढ और न जाने कौन सी आपदा लूट लेगी ?
भारत में लगता तो यही है, जिसे देखो वही लूटने में लगा है ! लूटेरे बैंक लूटने में ! सरकार टैक्स वसूलने में, टैक्स चोर टैक्स चोरी करने में ! कालाबाजारिये कालाबाजारी कर लगे हैं लूटने में, देश की सरकार विदेश-विदेश चिल्ला कर लगी है जनता को लूटने में ! कुछ पूंजीपतियों ने लूटने के लिये हौवा बनाया है विदेशी संस्थाओं का ! इनकी गुलाम सरकार ने हौवा बनाया परमाणु का ! विदेशी संस्था दिवालीया तो देश के शेयर मार्केट में लिस्टेड कम्पनीयां पहले लगी अपने को दिवालीया घोषित करने में ! सेबी तो बनी ही देखने के लिये तमाशा, मोटा मासिक वेतन ले इसके अफसर लगे आम निवेशक को लूटने ! नियम कानून बनाये थे जनता को बचाने और जनता को फायदा पहूंचाने के लिये, इस्तेमाल हो रहा है जनता को बेवकूफ बनाने और लूटने में। क्या इस देश कि कम्पनीयां बन्द हो जायेगी ? या फिर हो जायेगी दिवालीया अमेरीका की दिवालीया कम्पनियों से ? अगर नही तो फिर क्यों कार्यवाही नहीं इस शेयर मार्केट की गिरावट पर ? इस मंहगाई पर ? जनता को लूटने वालों और टैक्स चोरों पर ? अगर हां तो क्या किया इस देश के लिये इस देश की सरकार ने ? केवल अमेरीका के आगे घुटने टेकने के अलावा ! विदेशियों के साथ चलने वाले देशों कि जरा हालत तो देख ही लो ? खास कर अमेरीका और चीन के साथ जाने वाले देशों की ! अफगानीस्तान, ईराक, जोर्डन, सीरिया आदि, हां ताजा-ताजा जिम्बावे कुछ माह पहले दुनिया में इसका भी अच्छी अर्थव्यवस्था के लिये नाम लिया जाता था ! अब नम्बर बचा है भारत का शुरूआत लगता है हो चुकी है लूट कर जनता को ! और लूटो-और लूटो एक दिन यही जनता तुम्हें भी लूटेगी ! परेशान मत हो भाई यह दिन भी तो जल्दी ही आने वाले हैं। इस ही लिये तो बडे घराने और सरकारी लोग लगे हैं लूटने में जनता को ! अघोषित हमला चीन ने कर ही दिया है कोसी के नाम पर बदनाम हुई लापरवाह सरकारें । जी हां कोसी कोई हादसा नहीं है, समझदार लोग तो इसे आज भी चीन द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत किया गया हमला ही तो है ! इस घटना को हादसा कह कर टालना सबसे बडी बेवकूफी होगी, होगी क्या हो रही है ? क्यों भाई लोगों आखिर मरी तो जनता ही ना ? लूटी जनता ही ना ? तूम भी कब तक लूटोगे विदेशियों की आड में ? जल्दी ही कोई तुम्हें भी लूटेगा ही ! कहावत है इस हाथ ले, उस हाथ दे ! यह भी पुरानी कहावत है, जैसे पुराने कानून ? क्यों सही है ना आपकी राय का इन्तजार.......